दिल्ली जल बोर्ड की जिम्मेद्दारी है दिल्ली निवासिओं को सुरक्षित और पूरी मात्रा मैं पीने योग्य जल सप्लाई करना. इस काम मैं बोर्ड हमेशा नाकामयाब रहा है. अभी केंद्रीय सरकार ने भी माना है की दिल्ली मैं सप्लाई किया जा रहा पानी सब-स्टैंडर्ड है. लेकिन एक सरकारी मंत्री के अनुसार सरकार के पास पानी पर टैक्स लगाने के अलाबा पानी की गुणवत्ता सुधारने की या तो कोई काबलियत नहीं है या उस का ऐसा कोई इरादा नहीं है. दिल्ली की मुख्य मंत्री को तो अखवार मैं अपने फोटो छपबाने से ही फुरसत नहीं मिलती. आज के अखबार मैं भी, जनता के पैसे से छपबाये गए, कई ऐसे विज्ञापन हैं जिन मैं उनका फोटो छापा गया है.
भारतीय मानक ब्यूरो ने सुरक्षित पीने योग्य पानी का मानक बना रखा है पर दिल्ली जल बोर्ड मैं समय-समय पर शायद पानी की टेस्टिंग करबाने का कोई सिस्टम नहीं है. इस मानक का नुम्बर है - आई एस १०५०० - और इस मानक मैं पानी के बहुत सारे टेस्ट दिए गए हैं. यदि इस मानक के अनुसार पानी समय-समय पर टेस्ट करबाया जाए और कोई कमी पाए जाने पर उचित कार्यवाही की जाए तब दिल्ली के निवासी शुद्ध पानी पी सकेंगे और अनेक वीमारिओं से छुटकारा पा सकेंगे.
१५ मार्च, विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष भी मनाया गया। सरकार ने विज्ञापन छापे और अपने कर्तव्य की इतिश्री की। क्या दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली सरकार अपने उपभोक्ताओं के शुद्ध जल की आपूर्ति के अधिकार का हनन बंद करेगी?