रेल मंत्री रेल बजट बना रहे थे. उन्होंने सब अधिकारियों को एक बार फ़िर साबधान किया, 'किराए किसी हालत में बढ़ने नहीं चाहियें. किराए बढे और तुम सबकी नौकरी गई'.
'मगर सर, अगर इस बार भी किराए नहीं बढ़ाए गए तो बजट घाटे में आ जायेगा', अधिकारियों ने कहा.
'कितने साल हो गए तुम लोगों को मेरे साथ काम करते हुए'. मंत्री जी झल्लाए, 'अभी तक यात्रिओं की जेब काटना नहीं सीखे. हर बार मैं ही तरकीबें बताता हूँ कि बिना किराया बढ़ाए फायेदा का बजट कैसे बनाते हैं?'
एक चमचा अधिकारी बोले, 'सर, जब से आप आए हैं तबसे हर साल यात्रियों की जेब काटी जा रही है, और यह आप इस सफाई से करते हैं कि यात्री को पता ही नहीं चलता कि उस की जेब कट गई.'
'हाँ सर', दूसरे चमचे अधिकारी ने हाँ में हाँ मिलाई, 'यात्री तो आपकी तारीफ़ करते नहीं थकते कि आपने किराए नहीं बढाए, जबकि परदे के पीछे बेचारे की जेब कट गई'.
तीसरा चमचा बोला, 'इसीलिए तो सारी दुनिया आपको हार पहनाती रही. यात्रियों की जेब काटकर आप मेनेजमेंट गुरु बन गए'.
'बस बस ज्यादा चमचागिरी की जरूरत नहीं है', मंत्री जी नाटकीय अंदाज में मुस्कुराए, ''शाम को हमारे बंगले पर मिलना, कुछ फायदा कर देंगे तुम्हारा', कहते हुए मंत्री जी ने उन अधिकारियों को देखा जो चमचा बनना अपनी शान के ख़िलाफ़ मानते हैं.
'धन्यवाद श्रीमान जी', चमचे अधिकारी एक स्वर में बोले, 'इस बार भी हमारा मार्ग दर्शन कीजिए'.
'जुर्माने की रकम बढ़ा दो', मंत्री जी ने ज्ञान बांटा, 'टिकट चेकरों को निर्देश दे दो कि यात्रियों को बिना टिकट यात्रा करने के लिए प्रोत्साहित करें. ट्रेन चलने पर बिना किसी दया के जुर्माना जम कर बसूल करें. तत्काल में आरक्षित सीटों की संख्या बढ़ा दें, वेट लिस्ट सीटों की संख्या कम कर दें, मतलब यार्त्रियों को मजबूर करें कि वह तत्काल में आरक्षण करवाएं. जो बच गई हैं उन धीमी ट्रेनों को सुपर फास्ट घोषित कर दें. ट्रेनों के रख-रखाब पर हो रहे खर्चे को कम करें. जब तक ट्रेन खड़ी न हो जाए, उससे पहले उसकी सर्विस करना अनुशासनहीनता माना जाए. शिकायतों पर ध्यान देने की कोई जरूरत नहीं है'. इतना कह कर मंत्री जी हांपने लगे.
चमचे मुस्कुराने लगे. जो चमचे नहीं थे वह बगलें झाँकने लगे.
'अब कुछ अपना दिमाग भी लगाओ', मंत्री जी उठते हुए बोले, 'चलता हूँ, जरा मेडम से मिलने जाना है, कन्फर्म करना कि इस साल भी किराए नहीं बढ़ेंगे'.