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Tuesday, August 31, 2010
क्या भारत सरकार एक अच्छी सेवा प्रदाता है?
मैं कल सेवा कर (सर्विस टेक्स) के नेहरु प्लेस स्थित कार्यालय में गया. इस कार्यालय से सरकार को करोड़ों रूपए का राजस्व मिलता है, पर लगता है सरकार उसका नगण्य प्रतिशत ही कार्यालय के रख-रखाब पर खर्च करती है. एक 'सहायता केंद्र' है जहाँ आगंतुकों के लिए दो टूटी हुई कुर्सियां रखी हैं. पीने का पानी तो है पर पीने के लिए ग्लास नहीं हैं. इस केंद्र पर कोई कर्मचारी उपलब्ध नहीं था. आगंतुक एक दूसरे से और चपरासी से पूछ रहे थे कि यह श्रीमान कब आयेंगे? सफाई के बारे में अगर आप पूछें तब उसे निम्न स्तर का ही कहा जा सकता है.
मैं एक अधिकारी के कमरे मैं गया तब वहां भी दो टूटी कुर्सियों का सामना हुआ. जब बैठने लगा तब अधिकारी ने कहा, 'जरा ध्यान से, कुर्सी टूटी है, चोट न लग जाए'. वह खुद भी जिस कुर्सी पर बैठे थे, उनके पद के अनुरूप नहीं थी. ऐसा बिलकुल नहीं लग रहा था कि यह एक ऐसे अधिकारी का कमरा है जो सरकार के लिए कर संग्रह करता है. उनके कमरे के बाहर जो हाल था उस का हाल भी कोई अच्छा नहीं था.
यह कैसी सरकार है जो न तो अपने ग्राहकों को सही आदर देती है और न ही अपने कर्मचारियों को? क्या कार्यालय प्रमुख का कमरा अच्छी तरह सजा कर सरकार के कर्तव्य की इतिश्री हो जाती है? क्या दूसरे अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रति सरकार का कोई दायित्व नहीं है? ऐसे गंदे और दम-घुटाऊ वातावरण में कोई कैसे कुशलता-पूर्वक कार्य कर सकता है?
मैं तो वहां कुछ समय के लिए गया था और मुझे अच्छा नहीं लगा. जो लोग वहां दिन भर रह कर काम करते हैं उनकी हालत सोच कर मैं घबराता हूँ.
Sunday, August 29, 2010
ग्राहक बनो होशियार
अगर उत्पाद या सेवा विक्रेता आप से कोई टेक्स ले रहा है तब रसीद लेने से यह सुनिश्चित हो जाएगा कि टेक्स सरकारी खजाने में जमा कर दिया जायेगा. एक जिम्मेदार ग्राहक और नागरिक दोनों के नाते यह आप का कर्तव्य है.
Saturday, August 28, 2010
Sub-standard ISI Marked Products
In this advertisement, BIS has used a term 'sub-standard' but has not defined it. Does it mean that any product not having this mark is 'sub-standard', or a product having this mark can also be 'sub-standard'? I wrote an e-mail to BIS bit BIS did not reply. I sent three reminders but still no reply. Is BIS really concerned about the interest and safety of consumers., or issuing this advertisement is only a formality to indicate so in its annual report or satisfying consumer NGOs?
To read my e-mail, CLICK here.
I am now filing a RTI application to get the information. I will share it on this blog as soon as I get it.
मोबाईल सेवा प्रदाताओं द्वारा ग्राहकों पर अत्याचार कब ख़त्म होगा?
सरकार और अदालतें भारतीय ग्राहकों की इन आक्रान्ताओं से रक्षा नहीं कर पा रही हैं. आज फिर एक खबर निकली है अखवार में. साथ के चित्र पर क्लिक करें.
क्या कभी इस देश में ऐसा समय आएगा जब भारतीय ग्राहक इस अत्याचार से मुक्त हो सकेगा?
दिल्ली के हैरान-परेशान नागरिक
संलग्न चित्र पर आप क्लिक करें तो पायेंगे कि अब दिल्ली की मुख्य मंत्री कह रही हैं कि इन्द्र देवता उनसे नाराज हैं. यथार्थ तो यह है कि इंद्र देवता उनसे बहुत खुश हैं. दिल्ली में वारिश करा कर उन्होंने मुख्य मंत्री को एक और बहाना बनाने का मौका दे दिया है. दिल्ली के नागरिक इन 'बहाना मुख्य मंत्री' द्वारा इतने प्रताड़ित किये गए हैं कि अब किसी और किसी प्रताड़ना का कुछ असर नहीं होता. बेबस वह बस इस का इन्तजार कर रहे हैं कि कब इस प्रताड़ना का अंत होगा.
Thursday, August 26, 2010
How genuine are Dettol and Lizol advertisements?
Reading this news, I was reminded of advertisements of Dettol and Lizol which claim that their products are recommended by IMA. They also print logo of IMA on the product. Dettol website also makes this claim. CLICK to see.
It is not only that these IMA is violating MCI regulations by endorsing these products, it does not have any system/procedures under which it can do Third-Party Certification (TPC). In last two years, I have tried to find out if IMA has any system/procedure for TPC but it did provide me any information.
On August 13, 2007, I have written a post on this blog:
Dettol ad - it needs verification
I don't think that IMA has such infrastructure and expertise to run a third-party product certification scheme. This ad inserted by Dettol certainly need verification.
CLICK to read the post.
ग्राहक शिकायत क्यों करते हैं?
आप को ऐसे बहुत से लोग मिल जायेंगे जो आप की परेशानी में तुरंत आप को यह सलाह दे देंगे कि शिकायत कर दो. यह वह लोग होते हैं जिन्होनें या तो कभी शिकायत की ही नहीं होती या जिन्होनें शिकायत तो की थी पर उस के बाद कभी शिकायत न करने की प्रतिज्ञा भी कर ली थी. भारत में शिकायतकर्ता को पसंद नहीं किया जाता. एक छोटे से उत्पाद-सेवा विक्रेता से ले कर प्रधानमंत्री कार्यालय या राष्ट्रपति सचिवालय तक सब शिकायतकर्ता को शिकायती नजरों से देखते हैं. उनका वश चले तो शिकायत करना एक अपराध घोषित कर दें.
ग्राहक जब सब तरफ से निराश हो जाता है तब शिकायत करता है. अगर उस की शिकायत को पहले स्तर पर ही निपटा दिया जाय तब उसे ग्राहक अदालतों तक जाने की जरूरत ही न पड़े. लेकिन असंतुष्ट ग्राहक की बात ही कोई सुनना नहीं चाहता. उस के हर तर्क को नकार दिया जाता है. जब वह अदालत में पहुँचता है तब उस के खिलाफ वकील खड़े कर दिए जाते हैं. असंतुष्ट ग्राहक को सौ रूपए का मुआवजा नहीं देंगे पर वकीलों को हजारों रूपए दे देंगे. मेरा मानना है कि उत्पाद-सेवा विक्रेता अपने नकारात्मक व्यवहार से ग्राहक को शिकायत करने के लिए मजबूर कर देते हैं.
Sunday, August 22, 2010
How to file a complaint in consumer court?
I am giving you a link where you can learn about how to file complaint in consumer court. Study it carefully and make notes, if required.
CLICK.
Consumer v/s Customer
You can visit the following page on www.consumerdaddy.com for a very interesting article on this subject - CLICK.
On this page you will also find a quiz where you can test your understanding of these two terms.
Not providing information under RTI Act is deficiency in service under CPA
There is good news for those information seekers under RTI Act, who inspite of their best efforts and intentions are not provided information by CPIO. The issue whether failure to furnish information without valid reason constitutes a deficiency in service for which compensation can be sought by filing a consumer complaint has been decided by the National Consumer Commission in a trendsetting judgment.
To read the details CLICK.
An applicant under the RTI Act has to pay fees for getting the information, and hence he acquires the status of a consumer. If there is any deficiency in service in respect of providing such information, a complaint could be filed under the CPA for claiming compensation. This landmark and historic judgment is a new milestone, both for RTI as well as consumer activists, for holding the authorities accountable to the citizen.