मनमोहनजी ने कहा मुझे मार्च में कीमतों में स्थिरता दिखाई दे रही है पर मैं ज्योतिषी नहीं हूँ. क्लिक करें.
यह सारा देश जानता है कि मनमोहनजी ज्योतिषी नहीं हैं, पर सारा देश यह भी जानता है कि वह इस देश के प्रधानमंत्री हैं और यह उनका कर्तव्य है कि वह आम आदमी की सुख-सुविधा और सुरक्षा का ख्याल रखें. क्या यह मान लिया जाए कि मनमोहनजी स्वयं यह बात भूल गए हैं कि वह इस देश के प्रधानमंत्री हैं और इस देश में उनकी सरकार चल रही है? कीमतें आसमान छू रही हैं, आम आदमी की जिंदगी नर्क बन गई है, पर प्रधानमंत्रीजी इस तरह की गैरजिम्मेदाराना बातें कर रहे हैं. उन्हें मार्च में कीमतों में केवल स्थिरता दिखाई दे रही है, कीमतें कम होती नजर नहीं आ रहीं. कीमतें कम कौन करेगा? वह स्वयं, जो प्रधानमंत्री हैं, या उनके वित्त मंत्री, या उनके कृषि मंत्री, कोई तो होगा उनकी सरकार में जिसकी जिम्मेदारी कीमतें कम करना है. या फिर मनमोहनजी इसे अपनी सरकार की जिम्मेदारी ही नहीं मानते.
अगर वह स्वयं को और अपनी सरकार को कीमतें कम कर पाने में असमर्थ मानते हैं तब क्या यह बेहतर नहीं होगा कि वह अपने पद से हट जाएँ. शायद कोई और हो जो कीमतें कम कर सके? शायद कोई और हो जो उनकी तरह गठबंधन के अधर्म को अपना धर्म न मानता हो? शायद कोई और हो जो किसी व्यक्ति के प्रति बफादार न होकर इस देश की जनता के प्रति बफादार हो?
जब पानी काफी देर तक एक पात्र में पड़ा रहता है, उसकी गति थम जाती है, उसका वहाब शून्य हो जाता है, तब वह पानी सड़ जाता है, उसमें हानिकारक कीड़े पैदा हो जाते हैं, ऐसे पानी को बदल देना चाहिए. अगर न बदला गया तब देश को अनेकानेक बीमारियाँ जकड लेती हैं, नागरिकों का जीवन खतरे में पड़ जाता है. क्या मनमोहनजी ऐसा चाहते हैं?
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India Against Corruption - A Jan Lokpal Bill has been designed which has strong measures to bring all corrupt people to book. Join the cause and fight to force politicians to implement this powerful bill as an act in the parliament.
Thursday, January 20, 2011
Tuesday, January 18, 2011
आम आदमी की सरकार ??? नहीं, अब और धोखे में मत रहो !!!
कांग्रेस सरकार हमेशा से ही आम आदमी को यह कह कर मूर्ख बनाती रही है कि वह हमेशा आम आदमी के हित में सोचती है. सच्चाई यह है कि न तो सरकार आम आदमी के हित में दोचती है और न ही कुछ करते है, हाँ वह ऐसा कहती जरूर है.
दिल्ली सरकार ने विजली की दरें कम नहीं होने दीं. अब वह विजली कम्पनियों के साथ मिल कर उन्हें बढाने जा रही है. रसोई गैस की कीमतों को बढ़ा दिया गया है. खाद्द पदार्थों की कीमतें तो उस ने आसमान पर पहुंचा दी हैं. आम आदमी न तो घर में सुरक्षित है और न ही घर के बाहर.
सरकार की नीतियों के कारण पेट्रोल की कीमतें हर महीने बढती हैं. साथ की फोटों पर क्लिक करें तो आपको समझ आएगा कि यह किसकी सरकार है? आम आदमी की तो हरगिज नहीं है. जागो ग्राहक जागो, कब तक सोते रहोगे, मूर्ख बनते रहोगे. इस सरकार से अपनी रक्षा करो. आज आम आदमी की सबसे बड़ी दुश्मन यह सरकार है.
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Friday, January 14, 2011
गलती नगर निगम की, भुगतें नागरिक
दिल्ली नगर निगम ने एक लाख नागरिकों को नोटिस भेजे हैं जिसमें उन्हें हिदायत दी गई है की वह ३१ मार्च २००४ तक बने संपत्ति कर की बकाया राशि जमा करें. इन में से बहुत से नागरिकों का कहना है की उन्होंने संपत्ति कर समय से जमा कर दिया था, पर नगर निगम के रिकार्ड्स में गड़बड़ होने की वजह से सब से बकाया राशि मांगी जा रही है. कर जमा किया गया है यह साबित करने की जिम्मेदारी नागरिकों पर डाल दी गई है. निगम के पास पिछले भेजे गए नोटिसों की कोई प्रतिलिपि नहीं है. नगर निगम के रिकार्ड्स में अगर गड़बड़ है तब उसका खामियाजा नागरिक क्यों भुगतें? अब नागरिक निगम के दफ्तरों का चक्कर लगायेंगे और निगम के भ्रष्ट कर्मचारी उन्हें परेशान करेंगे और रिश्वत मानेंगे.
सरकार कहती है, ग्राहक जागो. क्या करे बेचारा ग्राहक जाग कर? कोई सुनता है उसकी? अब निगम कर्मचारियों की गलती की सजा नागरिकों को दी जा रही है, क्या सरकार सुनेगी और कर्मचारियों पर कार्यवाही करेगी? न्याय तो यही कहता है की जो गलती करे सजा उसे मिले.
लोगों का यह कहना सही है, सरकार ग्राहकों के नहीं, भ्रष्टाचारियों के साथ है. भ्रष्ट कर्मचारी, अधिकारी और सरकार नए-नए तरीके निकालते हैं भ्रष्टाचार के. ग्राहक बेचारा पिस रहा है. उस के साथ कोई नहीं है.
सरकार कहती है, ग्राहक जागो. क्या करे बेचारा ग्राहक जाग कर? कोई सुनता है उसकी? अब निगम कर्मचारियों की गलती की सजा नागरिकों को दी जा रही है, क्या सरकार सुनेगी और कर्मचारियों पर कार्यवाही करेगी? न्याय तो यही कहता है की जो गलती करे सजा उसे मिले.
लोगों का यह कहना सही है, सरकार ग्राहकों के नहीं, भ्रष्टाचारियों के साथ है. भ्रष्ट कर्मचारी, अधिकारी और सरकार नए-नए तरीके निकालते हैं भ्रष्टाचार के. ग्राहक बेचारा पिस रहा है. उस के साथ कोई नहीं है.
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Thursday, January 13, 2011
ग्राहक बेचारा क्या करे?
कीमतें बढ़ रही हैं, लगातार बढती जा रही हैं. कीमतें कभी कम होंगी, इस पर तो अब सरकार को भी कोई भरोसा नहीं रहा. मौसम ठीक रहेगा, पैदावार ज्यादा होगी, उस से कीमतें कुछ समय के लिए कुछ कम हो गईं तो समझो ईश्वर की कृपा.
प्रधानमंत्री ने बैठक बुलाई, कुछ नतीजा नहीं निकला. बैठक बुलाई थी कीमतें कैसे कम करें. पवार ने कहा अब मैं चीनी की कीमतें बढ़ाऊंगा, खूब माल कमाऊँगा, इस लिए चीनी का निर्यात खोलो. सरकार ने हाथ खड़े कर दिए. राजकुमार ने कहा अगर इंदिरा जी जैसी सरकार होती तब कीमत कम कर देते. अब मनमोहन की गठबंधन सरकार है, कोई घटक उनकी सुनता ही नहीं, मजबूरी है गठबंधन की, कीमतें कैसे कम करें? अब यह कौन बताये कि इंदिरा की सरकार में कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई थी. बैसे देखा जाय तब कांग्रेस यह कह रही है कि गलती जनता की है , केवल कांग्रेस की सरकार क्यों नहीं बनाई? बीच में पवार को क्यों घुसा दिया? अब भुगतो.
प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री हैं पर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ कर अर्थशास्त्र भूल गए. चिदम्बरम भी अर्थशास्त्री हैं, बेकार साबित हुए, अम्मा ने कहा अब तुम देश का सारा आतंकवाद बीजेपी और आरएसएस के मत्थे मढ़ दो. हिन्दू संसार के सब से भयंकर आतंकवादी हैं इसे साबित करके दिखाओ. वह इस में लग गए. अब कीमतें कौन कम करेगा? पवार, जिसे कीमतों पर नियंत्रण रखना था, वह ही तो कीमतें बढ़ा रहा है.
अब बेचारा ग्राहक क्या करे?
प्रधानमंत्री ने बैठक बुलाई, कुछ नतीजा नहीं निकला. बैठक बुलाई थी कीमतें कैसे कम करें. पवार ने कहा अब मैं चीनी की कीमतें बढ़ाऊंगा, खूब माल कमाऊँगा, इस लिए चीनी का निर्यात खोलो. सरकार ने हाथ खड़े कर दिए. राजकुमार ने कहा अगर इंदिरा जी जैसी सरकार होती तब कीमत कम कर देते. अब मनमोहन की गठबंधन सरकार है, कोई घटक उनकी सुनता ही नहीं, मजबूरी है गठबंधन की, कीमतें कैसे कम करें? अब यह कौन बताये कि इंदिरा की सरकार में कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई थी. बैसे देखा जाय तब कांग्रेस यह कह रही है कि गलती जनता की है , केवल कांग्रेस की सरकार क्यों नहीं बनाई? बीच में पवार को क्यों घुसा दिया? अब भुगतो.
प्रधानमंत्री अर्थशास्त्री हैं पर प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ कर अर्थशास्त्र भूल गए. चिदम्बरम भी अर्थशास्त्री हैं, बेकार साबित हुए, अम्मा ने कहा अब तुम देश का सारा आतंकवाद बीजेपी और आरएसएस के मत्थे मढ़ दो. हिन्दू संसार के सब से भयंकर आतंकवादी हैं इसे साबित करके दिखाओ. वह इस में लग गए. अब कीमतें कौन कम करेगा? पवार, जिसे कीमतों पर नियंत्रण रखना था, वह ही तो कीमतें बढ़ा रहा है.
अब बेचारा ग्राहक क्या करे?
Sunday, January 02, 2011
सरकार ने कहा 'जागो ग्राहक' और खुद सो गई
प्रिंट मीडिया और टीवी पर आप को अक्सर एक विज्ञापन दिखाई देता है - जागो ग्राहक. इन विज्ञापनों में सरकार अलग-अलग विषयों पर ग्राहकों को समझाती है और बाद में कहती है कि हे ग्राहक जागो, एक जिम्मेदार ग्राहक बनो, आपके कुछ अधिकार हैं इसलिए अपने कर्तव्य निभाओ. काफी साफ़-सुथरे जानकारी-वर्धक विज्ञापन हैं यह. पर सिर्फ विज्ञापन दे देने से तो काम नहीं चलता. सरकार को खुद भी कुछ करना चाहिए. यह क्या बात हुई कि सरकार ने विज्ञापन दे कर ग्राहकों को जगाया और खुद सो गई?
अब ग्राहक रो रहे हैं, सरकार सो रही है
प्याज के दाम बढ़ते रहे और सरकार सोती रही. जब ज्यादा हाहाकार मचा तब शीलाजी ने उनींदी आँखों से देखा और कहा कि मीडिया ने दाम बढ़ा दिए और फिर सो गईं. प्याज को अकेले ऊपर चढ़ना अच्छा नहीं लगा तो उस ने कुछ और सब्जियों, जैसे टमाटर, को भी साथ ले लिया. ग्राहकों की आँखों की नींद उड़ गई पर सरकार सोती रही. बीच में एक बार उठी और कहा कि विजली के दाम ३०% बढ़ेंगे. ग्राहकों का हार्ट फेल होते-होते बचा. नींद में सरकार एक बार फिर बड़बड़ाई और सीएनजी और पीएनजी के दाम बढ़ गए. नींद में जरा सा झटका लगता है और पेट्रोल और दूध के दाम बढ़ जाते हैं.
एक, दो और तीन बार जनता ने शीलाजी को जिता दिया. जनता की इस मूर्खता से शीलाजी के मन में इस जनता के लिए जो थोडा सा आदर शेष था वह पिछली जीत पर बिलकुल ही समाप्त हो गया. अब तो उन्हें पूरा विश्वास हो गया है कि इस वेबकूफ जनता के पास उन्हें जिताने के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं है. इस लिए क्यों इस जनता के लिए अपनी नींद खराब की जाए?
अब ग्राहक जाग रहे हैं और रो रहे हैं. सरकार सो रही है और सोते-सोते हंस रही है. बीच-बीच में सरकार नींद से उठती है और 'जागो ग्राहक' का नारा लगा कर फिर सो जाती है.
अब तो कोई चमत्कार ही ऐसा कर सकता है कि जनता रोना बंद कर दे, तन कर खडी हो जाए, और कहे - जागो सरकार, जनता का मजाक उडाना बंद करो, अपना सोच बदलो वरना हम तुम्हें बदल देंगे.
अब ग्राहक रो रहे हैं, सरकार सो रही है
प्याज के दाम बढ़ते रहे और सरकार सोती रही. जब ज्यादा हाहाकार मचा तब शीलाजी ने उनींदी आँखों से देखा और कहा कि मीडिया ने दाम बढ़ा दिए और फिर सो गईं. प्याज को अकेले ऊपर चढ़ना अच्छा नहीं लगा तो उस ने कुछ और सब्जियों, जैसे टमाटर, को भी साथ ले लिया. ग्राहकों की आँखों की नींद उड़ गई पर सरकार सोती रही. बीच में एक बार उठी और कहा कि विजली के दाम ३०% बढ़ेंगे. ग्राहकों का हार्ट फेल होते-होते बचा. नींद में सरकार एक बार फिर बड़बड़ाई और सीएनजी और पीएनजी के दाम बढ़ गए. नींद में जरा सा झटका लगता है और पेट्रोल और दूध के दाम बढ़ जाते हैं.
एक, दो और तीन बार जनता ने शीलाजी को जिता दिया. जनता की इस मूर्खता से शीलाजी के मन में इस जनता के लिए जो थोडा सा आदर शेष था वह पिछली जीत पर बिलकुल ही समाप्त हो गया. अब तो उन्हें पूरा विश्वास हो गया है कि इस वेबकूफ जनता के पास उन्हें जिताने के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं है. इस लिए क्यों इस जनता के लिए अपनी नींद खराब की जाए?
अब ग्राहक जाग रहे हैं और रो रहे हैं. सरकार सो रही है और सोते-सोते हंस रही है. बीच-बीच में सरकार नींद से उठती है और 'जागो ग्राहक' का नारा लगा कर फिर सो जाती है.
अब तो कोई चमत्कार ही ऐसा कर सकता है कि जनता रोना बंद कर दे, तन कर खडी हो जाए, और कहे - जागो सरकार, जनता का मजाक उडाना बंद करो, अपना सोच बदलो वरना हम तुम्हें बदल देंगे.
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