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India Against Corruption - A Jan Lokpal Bill has been designed which has strong measures to bring all corrupt people to book. Join the cause and fight to force politicians to implement this powerful bill as an act in the parliament.

Monday, July 14, 2008

शताब्दी ट्रेन में खाने में क्राक्रोच

मैंने अपनी पिछली पोस्ट 'मजबूरी का नाम है लालू' में रेलों में सर्व किए जाने वाले ठंडे वेस्वाद खाने की बात की थी. आज अखबार में पढ़ा कि अमृतसर शताब्दी में खाने पर क्राक्रोच रेंगते पाये गए. जिस यात्री के साथ ऐसा हुआ उसने वेटर से शिकायत की. वेटर ने बहस शुरू कर दी. इतने में कुछ और यात्रियों के खाने में भी क्राक्रोच मिले. अब वेटर बेचारा फंस गया. उसे यात्रियों से माफ़ी मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा. खाना बदल कर दूसरा दिया गया, पर उस में भी छोटे-छोटे कीड़े रेंगते पाये गए.

लालू जी की रेल का ट्रेड मार्क अब बदलना चाहिए - "ठंडा वेस्वाद कीड़े वाला खाना".

मजा यह रहा की केटरर की वकालत की गई. यह कहा गया कि केटरर द्बारा सप्लाई किए गए खाने में कीड़े नहीं थे. कीड़े ट्रे में थे. यात्री यह नहीं समझ पा रहे थे और सोच रहे थे कि ट्रे क्या वह अपने साथ लाये थे? अरे भाई ट्रे भी तो केटरर की ही थी. लेकिन बात सोचने की यह है कि रेल वाले केटरर की वकालत क्यों कर रहे थे? एक यात्री के अनुसार एक शताब्दी ट्रेन में केटरिंग का कांट्रेक्ट लेने के लिए एक करोड़ रिश्वत देनी पड़ती है. अब एक करोड़ खा कर रेल वालों को केटरर की वकालत तो करनी ही पड़ेगी.

लालू जी की रेल में यात्रा करने वालों से निवेदन है की वह सफर के दौरान खाने के लिए घर से खाना लायें. शताब्दी और राजधानी ट्रेन्स में यात्रियों से पूछा जाए ओर उन्हीं यात्रियों से खाने का पैसा लिया जाए जो लालू जी द्बारा सप्लाई किया खाना खाना चाहते हैं. जो यात्री अपना खाना घर से लायेंगे उनसे खाने का पैसा न लिया जाए.

Tuesday, July 08, 2008

मजबूरी का नाम है लालू

मैं अक्सर लालू जी की रेल में सफर करता हूँ. शताब्दी एक्सप्रेस में आपसे टिकट के साथ ही खाने का पैसा भी ले लिया जाता है. ऐसा सिर्फ़ लालू जी की रेल में होता है. आप किसी होटल या रेस्तौरेंट में जाइए, पहले आप अपनी पसंद के खाने का ऑर्डर देते हैं, खाना खाते है और फ़िर पेमेंट करते हैं. लालू जी की रेल में आपकी पसंद का कोई ख्याल नहीं किया जाता. कब सर्व होगा और कैसे सर्व होगा, यह सब लालू जी की मर्जी है. खाने में क्या सर्व होगा यह भी लालू जी तय करते हैं. अब आपको यह ही खाना खाना पड़ेगा. रेल से बाहर जा नहीं सकते. आप यह भी नहीं कह सकते कि भई में अपना खाना ख़ुद ले आऊंगा, आप मुझसे लालू जी के द्बारा सर्व किये खाने का पैसा मत लीजिये.

"ठंडा वेस्वाद खाना" लालू जी की रेल का ट्रेड मार्क है. यह खाना न देखने में अच्छा है और न खाने में. इसकी पेकिंग भी बहुत घटिया होती है. जिस तरह से यह आपको सर्व किया जाता है वह भी बहुत ही घटिया है. रेल के वेटर इस तरह सर्व करते हैं जैसे सोच रहे हों कि कहाँ फंस गए और किसी तरह यह काम ख़तम हो तो जान छूटे. मैंने बहुत से सहयात्रियों से इस बारे में बात की है. लगभग सभी का यह कहना है कि भूख लगी होती है और कुछ दूसरी चीज खाने को होती नहीं, इस लिए इस ठंडे वेस्वाद खाने को गले से उतार कर पेट भरते हैं. क्या करें मजबूरी है, और मजबूरी का नाम है, लालू.

बहुत से यात्री लालू जी का खाना नहीं खाते. बस आइसक्रीम से काम चलाते हैं. उन का कहना है, भले ही देर से खाएं घर का खाना ही खाएँगे. एक बार मैंने अपने सहयात्री से पूछा कि आप ने खाने को मना क्यों कर दिया, उन्होंने मुझे घूर कर देखा, फ़िर मेरी खाने की ट्रे को देखा, फ़िर मेरे ऊपर एक दया भरी द्रष्टि डालते हुए कहा, "बीमार पड़ना है क्या?". मैं बीमार तो नहीं पड़ा पर लालू जी का खाना खाने के बाद मन काफ़ी देर तक अजीब सा रहता है. एक बार ऐसा हुआ कि एक बच्चे को उलटी हो गई थी. उसने अपने पापा के बहुत मना करने पर भी लालू जी का दही खा लिया था.

कल ही मैंने यह ठंडा वेस्वाद खाना खाया था. मन अजीब सा हो गया था. घर पहुँचा तो पत्नी ने कहा घर से कुछ ले जाया करो, क्यों बीमार पड़ने पर तुले हुए हो? सोचता हूँ पत्नी की बात मान लूँ. इस ब्लाग के माध्यम से लालू जी से छमा चाहूँगा. लालू जी अब और आपका खाना नहीं खा पाऊँगा, भले ही आप उसके पैसे मेरी जेब से निकालते रहें.

Sunday, July 06, 2008

लालू जी की रेल - अघोषित घोषणाऐं

लालू जी अक्सर घोषणाऐं करते हैं, बजट के दौरान, हार पहनने के वाद, फीते काटने के वाद. इस के अलावा स्टेशन पर भी बहुत सी घोषणाऐं होती हैं. पर कुछ घोषणाऐं ऐसी हैं जो कभी नहीं होतीं. यह घोषणाऐं ऐसी हैं जिनसे रेल के असली हालत पता चलते हैं. अब लालू जी तो यह घोषणाऐं करने वाले हैं नहीं, तो मैंने सोचा कि में ही क्यों न यह घोषणाऐं कर डालूँ.

"अगर आप किसी जरूरी काम से यात्रा कर रहे है और समय की भी पाबंदी है तब हमारी रेल से यात्रा न करें. अगर कोई रेल समय से पहुँच जाती है तब यह ईश्वर की इच्छा है. समय का हमारी रेल में कोई महत्त्व नहीं है. हम देरी के लिए खेद प्रकट करने के अलावा कुछ नहीं कर सकते."

"अगर आपको सादा, स्वच्छ, स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना खाने की आदत है तब अपना खाना ख़ुद लायें. यात्रा के दौरान अगर आपने स्टशन या रेल में आईआरसीटीसी द्बारा सप्लाई किया गया खाना खाया और बीमार हो गए तो इसके लिए आप ख़ुद जिम्मेदार होंगे."

"अगर आपको सुबह घूमने की आदत है और स्वच्छ हवा अपने फेफड़ों में भरने का नशा है तब स्टेशन पर बने प्रतीक्षालयों में न जाएँ. बहाँ के अशुद्ध वातावरण में अगर आप बीमार हो गए तो इसके लिए आप ख़ुद जिम्मेदार होंगे."

"अगर आपकी रेल किसी स्टशन पर रुकी है तब खिड़की से बाहर न झांकें. साथ की पटरियों पर गन्दगी और कूड़ा-करकट देख कर अगर आपकी तबियत ख़राब हो गई तब इसके लिए आप ख़ुद जिम्मेदार होंगे."

"रेल का बहुत सा पैसा जुर्माने से बसूल होता है. इसलिए बिना टिकट या ग़लत टिकट के साथ यात्रा करें और जुर्माना भरें. ऐसा करके आप अपना राष्ट्रीय कर्तव्य पूरा करेंगे रेल को फायदा होगा और हमारे मंत्री जी की तारीफ़ होगी और उन्हें हार पहनने को मिलेंगे."

"समय से टिकट खरीदना कोई अच्छी आदत नहीं है. तत्काल सेवा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें. इस से आपकी जेब हलकी होगी, रेल की जेब भरेगी, मंत्री जी की तारीफ़ होगी और उन्हें हार पहनने को मिलेंगे."

"अगर आपको दिल्ली से आगरा जाना है और वापस आना है तब वापसी का टिकट दिल्ली में खरीदें. जाने का टिकट आगरा के किसी ट्रेवल एजेंट द्बारा खरीदें. इससे हर टिकट पर हमारी रेल को १५ रुपए ज्यादा मिलेंगे. रेल फायदे में जायेगी. मंत्री जी की तारीफ़ होगी और उन्हें हार पहनने को मिलेंगे. ऐसा सब यात्राओं में करके अपनी राष्ट्रभक्ति का सबूत दें."

"रेल सेवाओं में कमी और गड़बड़ की शिकायत करना अच्छी आदत नहीं है. यह बिना मतलब की शिकायतें करके आप मंत्री जी और उनके सहयोगिओं को परेशान करते हैं. हमारी रेल में शिकायत सुनने और उस पर कार्यवाही करने का कोई प्रावधान नहीं है. शिकायत करके अपना और हमारा समय नष्ट न करें."

"रेल सुरक्षा बल आपकी सुरक्षा के लिए नहीं है. यह आपसे रेल को कोई नुक्सान न पहुंचे यह देखने के लिए है. अगर कोई सुरक्षा कर्मचारी आपकी वजह से परेशान हुआ तो आपके ख़िलाफ़ कार्यवाही की जायेगी."

"हमारी रेल में आप अपनी जिम्मेदारी पर सफर करते हैं. समान की चोरी, आपकी अपनी टूट-फूट और किसी भी नुकसान के लिए आप ख़ुद जिम्मेदार हैं. आप अपनी मर्जी से रेल में यात्रा करते. हम आपको यात्रा करने के लिए बुलाने नहीं जाते."

"हम अक्सर ऐसा कहते हैं - 'रेल आपकी संपत्ति है'. इसे सच न मान लें. रेल हमारे मंत्री जी और उनके परिवार, सम्बन्धियों, मित्रों और अन्य राजनेताओं की व्यक्तिगत संपत्ति है. आप उस में इस लिए सफर करते हैं कि रेल को फायदा हो. आपकी सुविधा के लिए हम रेल नहीं चलाते."